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The childhood of Gōsvāmī Tulasīdās Jī Gōsvāmī Tulasīdās Jī was born to a Sarayupārīṇ Brāhmin Ātmārām Dubey and his wife Hulasī on the day of Shrāvaṇa-Shukla-Saptamī (the seventh day of the bright half of the Shrāvaṇa month) in the Vikrami Samvat 1554 (1497 CE) as per the Mula Gosain Charita. अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम् ॥ स्वंच्छंदता, पैसे का मोह, प्रेमवश होना, भोगाधीन होना, उद्धत होना – ये छे भी विद्याप्राप्ति में विघ्नरुप हैं ।, गीती शीघ्री शिरः कम्पी तथा लिखित पाठकः । दुर्जन, परायी स्त्री और परधन में ।. लकडे का हाथी, और चमडे से आवृत्त मृग की तरह वेदाध्ययन न किया हुआ ब्राह्मण भी केवल नामधारी हि है ।, गुरुशुश्रूषया विद्या पुष्कलेन धनेन वा । Oct 28, 2016 - Explore Dainik Manas's board "TEACHERS DAY SANSKRIT SHLOKAS GURU MANTRA – गुरु वंदना या गुरु मन्त्र शिक्षक दिवस संस्कृत श्लोक", followed by 7729 people on Pinterest. सुख की ईच्छा रखनेवाले ने विद्या की आशा छोडनी चाहिए, और विद्यार्थी ने सुख की ।, ज्ञानवानेन सुखवान् ज्ञानवानेव जीवति । जो चोरों के नजर पडती नहि, देने से जिसका विस्तार होता है, प्रलय काल में भी जिसका विनाश नहि होता, वह विद्या के अलावा अन्य कौन सा द्रव्य हो सकता है ? आद्या हास्याय वृद्धत्वे द्वितीयाद्रियते सदा ॥ समुद्रमिव दुर्धर्षं नृपं भाग्यमतः परम् ॥ सब दानों में कन्यादान, गोदान, भूमिदान, और विद्यादान सर्वश्रेष्ठ है ।, तैलाद्रक्षेत् जलाद्रक्षेत् रक्षेत् शिथिल बंधनात् । In order to post comments, please make sure JavaScript and Cookies are enabled, and reload the page. इसका कारण है कि पारसमणि केवल लोहे को सोना बनाता है पर स्वयं जैसा नहीं बनाता! कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम् ॥ सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् ॥ आभ्यन्तराः पठन सिद्धिकराः भवन्ति ॥ प्रिय वचन से दिया हुआ दान, गर्वरहित ज्ञान, क्षमायुक्त शौर्य, और दान की इच्छावाला धन – ये चार दुर्लभ है ।, अव्याकरणमधीतं भिन्नद्रोण्या तरंगिणी तरणम् । बुढापा और मृत्यु आनेवाले नहि, ऐसा समजकर मनुष्य ने विद्या और धन प्राप्त करना; पर मृत्यु ने हमारे बाल पकडे हैं, यह समज़कर धर्माचरण करना ।, विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयो दाने नैव क्षयं याति विद्यारत्नं महाधनम् ॥ विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् ।, पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥, कुत्र विधेयो यत्नः विद्याभ्यासे सदौषधे दाने ।, विद्याविनयोपेतो हरति न चेतांसि कस्य मनुजस्य ।, कांचनमणिसंयोगो नो जनयति कस्य लोचनानन्दम् ॥, विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम् ।, कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम् ॥, माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।, क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्, अजरामरवत् प्राज्ञः विद्यामर्थं च साधयेत् ।, विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयो, धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा ।, सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैर्विना भूषणम्, तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु ॥, श्रियः प्रदुग्धे विपदो रुणद्धि यशांसि सूते मलिनं प्रमार्ष्टि ।, संस्कारशौचेन परं पुनीते शुद्धा हि वुद्धिः किल कामधेनुः ॥, ज्ञातिभि र्वण्टयते नैव चोरेणापि न नीयते ।, दाने नैव क्षयं याति विद्यारत्नं महाधनम् ॥, विद्या शस्त्रं च शास्त्रं च द्वे विद्ये प्रतिपत्तये ।, आद्या हास्याय वृद्धत्वे द्वितीयाद्रियते सदा ॥, सर्वद्रव्येषु विद्यैव द्रव्यमाहुरनुत्तमम् ।, अहार्यत्वादनर्ध्यत्वादक्षयत्वाच्च सर्वदा ॥, अपूर्वः कोऽपि कोशोड्यं विद्यते तव भारति ।, व्ययतो वृद्धि मायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ॥, सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः ॥, विद्या राज्यं तपश्च एते चाष्टमदाः स्मृताः ॥, स्वच्छन्दत्वं धनार्थित्वं प्रेमभावोऽथ भोगिता ।, माधुर्यं अक्षरव्यक्तिः पदच्छेदस्तु सुस्वरः ।, विद्या वितर्को विज्ञानं स्मृतिः तत्परता क्रिया ।, द्यूतं पुस्तकवाद्ये च नाटकेषु च सक्तिता ।, स्त्रियस्तन्द्रा च निन्द्रा च विद्याविघ्नकराणि षट् ॥, पञ्चैतानि विलिख्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ॥, दानानां च समस्तानां चत्वार्येतानि भूतले ।, श्रेष्ठानि कन्यागोभूमिविद्या दानानि सर्वदा ॥, तैलाद्रक्षेत् जलाद्रक्षेत् रक्षेत् शिथिल बंधनात् ।, तथा वेदं विना विप्रः त्रयस्ते नामधारकाः ॥. पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥ Guru slokas : Guru hold a very important holy meaning in hindu religion.Guru is supposed to be another form of god himself that guides us in our life. अनर्थज्ञोऽल्पकण्ठश्च षडेते पाठकाधमाः ॥ Rochak Post Hindi, Interesting Facts, मोटिवेशन हिंदी, अच्छे अनमोल वचन हिंदी में, संस्कृत श्लोक व अर्थ संग्रह Best Hindi Blog, आदि काल से ही हमारी भारतीय संस्कृति में शिक्षा का बड़ा महत्व रहा है| शिक्षा को अमरत्व का साधन माना गया है| “सा विद्या या विमुक्तये” का मंत्र संसार की एकमात्र हिंदू संस्कृति में मिलता है और इस तरह से हमारी संस्कृति ने सनातन काल से ही गुरु शिष्य परंपरा के माध्यम से शिक्षा को जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग माना है | यही कारण है कि समय समय पर हमारे ऋषि मुनियों के साथ-साथ समाज ने शिक्षा के महत्व पर आधारित संस्कृत श्लोकों की तमाम रचनाएं की जिसे आज मैं यहां संकलित कर रहा हूं मुझे विश्वास है कि यह आपको अच्छा लगेगा, संयोजयति विद्यैव नीचगापि नरं सरित् । सद्विद्या यदि का चिन्ता वराकोदर पूरणे । धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा । जुआ, वाद्य, नाट्य (कथा/फिल्म) में आसक्ति, स्त्री (या पुरुष), तंद्रा, और निंद्रा – ये छे विद्या में विघ्नरुप होते हैं ।, आयुः कर्म च विद्या च वित्तं निधनमेव च । कल्पान्तेऽपि न या नश्येत् किमन्यद्विद्यया विना ॥ आचार्य, पुस्तक, निवास, मित्र, और वस्त्र – ये पाँच पठन के लिए आवश्यक बाह्य गुण हैं ।, दानानां च समस्तानां चत्वार्येतानि भूतले । क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम् ॥ मौनिनः कलहो नास्ति न भयं चास्ति जाग्रतः ॥ Required fields are marked *. क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत् । अजरामरवत् प्राज्ञः विद्यामर्थं च साधयेत् । ज्ञानमय, नित्य, शंकर रूपी गुरु की मैं वन्दना करता हूँ, जिनके आश्रित होने से ही टेढ़ा चन्द्रमा भी सर्वत्र वन्दित होता है॥3॥ श्लोक: Designed by Elegant Themes | Powered by WordPress, गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।, शरीरं चैव वाचं च बुद्धिन्द्रिय मनांसि च ।, गुकारस्त्वन्धकारस्तु रुकार स्तेज उच्यते ।, विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम् ।, विनय फलं शुश्रूषा गुरुशुश्रूषाफलं श्रुत ज्ञानम् ।, एकमप्यक्षरं यस्तु गुरुः शिष्ये निवेदयेत् ।, दुग्धेन धेनुः कुसुमेन वल्ली शीलेन भार्या कमलेन तोयम् ।, योगीन्द्रः श्रुतिपारगः समरसाम्भोधौ निमग्नः सदा शान्ति क्षान्ति नितान्त दान्ति निपुणो धर्मैक निष्ठारतः ।, दृष्टान्तो नैव दृष्टस्त्रिभुवनजठरे सद्गुरोर्ज्ञानदातुः स्पर्शश्चेत्तत्र कलप्यः स नयति यदहो स्वहृतामश्मसारम् ।, पूर्णे तटाके तृषितः सदैव भूतेऽपि गेहे क्षुधितः स मूढः ।. विद्याविहीन को धन कहाँ ? एक एक क्षण गवाये बिना विद्या पानी चाहिए; और एक एक कण बचा करके धन ईकट्ठा करना चाहिए । क्षण गवानेवाले को विद्या कहाँ, और कण को क्षुद्र समजनेवाले को धन कहाँ ? विद्याभ्यास, तप, ज्ञान, इंद्रिय-संयम, अहिंसा और गुरुसेवा – ये परम् कल्याणकारक हैं ।, पठतो नास्ति मूर्खत्वं अपनो नास्ति पातकम् । विद्या, तर्कशक्ति, विज्ञान, स्मृतिशक्ति, तत्परता, और कार्यशीलता, ये छे जिसके पास हैं, उसके लिए कुछ भी असाध्य नहि ।, द्यूतं पुस्तकवाद्ये च नाटकेषु च सक्तिता । सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता। (Sacche Guru Ke Bina Bandhan Nahi Chuthata) ... फिर मुझे एक-दो श्लोक सिखाये। ... आरती: माँ सरस्वती वंदना. गुरु शिष्य ही परंपरा आपल्या देशांत फार प्राचीन काळापासून चालत आली असून आज देखील या परंपरेचे पालन केले जाते. इयोन मॉर्गन का जीवन परिचय | Eoin Morgan Biography, अजीत डोभाल का जीवन परिचय l Ajit Doval Biography, सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय l Vallabhbhai Patel Biography, चार्ली चैप्लिन का जीवन परिचय l Charlie Chaplin Biography, इरफान खान का जीवन परिचय l Irrfan Khan Biography, साइना नेहवाल का जीवन परिचय l Saina Nehwal Biography, अर्नब गोस्वामी का जीवन परिचय l Arnab Goswami Biography, गौतम बुद्ध का जीवन परिचय I Gautama Buddha Biography. स्वावलम्बः दृढाभ्यासः षडेते छात्र सद्गुणाः ॥ श्राद्ध के प्रकार? धैर्यं लयसमर्थं च षडेते पाठके गुणाः ॥ श्रेष्ठानि कन्यागोभूमिविद्या दानानि सर्वदा ॥ आलसी इन्सान को विद्या कहाँ ? विद्यातुराणां न सुखं न निद्रा क्षुधातुराणां न रुचि न बेला ॥ किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या ॥ गुरु ने साधे जगत के, साधन सभी असाध्य। गुरु-पूजन, गुरु-वंदना, गुरु ही है आराध्य।। गुरु से नाता शिष्य का, श्रद्धा भाव अनन्य। These enchanting guru slokas will surely make you day. पाठ १२. My articles are the chronicles of my experiences - mostly gleaned from real life encounters. by praveen gupta | May 28, 2018 | श्लोक | 0 comments, गुरू एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जो किसी व्यक्ति को शिक्षक, मार्गदर्शक या ज्ञान बाँटने वाले व्यक्ति के रूप में प्रख्यापित करता है। गुरू वह है जो ज्ञान देता है। अर्थात सांसारिक या पारमार्थिक ज्ञान देने वाले व्यक्ति को गुरू कहते हैं।, कुछ लोकप्रिय गुरू के संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं।, अर्थ- गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है और गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है। हम उन सद्गुरु को प्रणाम करते हैं।, अर्थ- गुरु के पास हमेशा उनसे छोटे आसन पर ही बैठना चाहिए। गुरु के आते हुए दिखाई देने पर भी अपनी मनमानी से नहीं बैठे रहना चाहिए। अर्थात गुरू का आदर करना चाहिए।, अर्थ- शरीर, वाणी, बुद्धि, इंद्रिय और मन को संयम (काबू) में रखकर, हाथ जोडकर गुरु के सन्मुख (सामने) देखना चाहिए।, अर्थ- ‘गु’कार याने अंधकार, और ‘रु’कार याने तेज; जो अंधकार का निरोध (ज्ञान का प्रकाश देकर अंधकार को रोकना) करता है, वही वास्तव में गुरू कहलाता है।, अर्थ- प्रेरणा देने वाले, सूचना देने वाले, सच बताने वाले, रास्ता दिखाने वाले, शिक्षा देने वाले और बोध कराने वाले ये सभी गुरु के समान है ।, अर्थ- बहुत कहने से क्या होगा? बाह्या इमे पठन पञ्चगुणा नराणाम् ॥ विद्या विनय देती है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म, और धर्म से सुख प्राप्त होता है ।, कुत्र विधेयो यत्नः विद्याभ्यासे सदौषधे दाने । Chanakya Slokas (चाणक्य नीति श्लोक) Chanakya was an Indian teacher, economist and a political adviser. विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम् कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम् ॥ पुस्तकस्या तु या विद्या परहस्तगतं धनं । कुरुप का रुप विद्या है, तपस्वी का रुप क्षमा, कोकिला का रुप स्वर, तथा स्त्री का रुप पतिव्रत्य है ।, रूपयौवनसंपन्ना विशाल कुलसम्भवाः । Your email address will not be published. अनेक संशयों को दूर करनेवाला, परोक्ष वस्तु को दिखानेवाला, और सबका नेत्ररुप शास्त्र जिस ने पढा नहि, वह इन्सान (आँख होने के बावजुद) अंधा है ।, सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम् । शुकोऽप्यशनमाप्नोति रामरामेति च ब्रुवन् ॥ स्त्रियस्तन्द्रा च निन्द्रा च विद्याविघ्नकराणि षट् ॥ From general topics to more of what you would expect to find here, boltechitra.com has it all. अहिंसा गुरुसेवा च निःश्रेयसकरं परम् ॥ I am doing Internet classes from home and it really helps me and I request to all that stay at home and stay safe. सत्संग ध्यान गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. गृहीत एव केशेषु मृत्युना धर्ममाचरेत् ॥ विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः ॥ विद्या राज्यं तपश्च एते चाष्टमदाः स्मृताः ॥ His name is the only refuge for those who want to cross the ocean of mundane existence. keep doing good work, Thank you very much isne mera Kam asan kar diya. We hope you find what you are searching for! वित्तं दानसमेतं दुर्लभमेतत् चतुष्टयम् ॥ सद्विद्या हो तो क्षुद्र पेट भरने की चिंता करने का कारण नहि । तोता भी “राम राम” बोलने से खुराक पा हि लेता है ।, न चोरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी । शुद्ध बुद्धि सचमुच कामधेनु है, क्यों कि वह संपत्ति को दोहती है, विपत्ति को रुकाती है, यश दिलाती है, मलिनता धो देती है, और संस्काररुप पावित्र्य द्वारा अन्य को पावन करती है ।. अर्थातुर को सुख और निद्रा नहि होते; कामातुर को भय और लज्जा नहि होते । विद्यातुर को सुख व निद्रा, और भूख से पीडित को रुचि या समय का भान नहि रहेता ।, अनालस्यं ब्रह्मचर्यं शीलं गुरुजनादरः । Aug 30, 2016 - This website is for sale! अनालस्य, ब्रह्मचर्य, शील, गुरुजनों के लिए आदर, स्वावलंबन, और दृढ अभ्यास – ये छे छात्र के सद्गुण हैं ।. गुरु महिमा वंदना श्लोक | Sanskrit Slokas on Guru Teacher with Hindi Meaning → Shivesh Pratap My articles are the chronicles of my experiences - mostly gleaned from real life encounters. यत्न कहाँ करना ? विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहि सकता, राजा ले नहि सकता, भाईयों में उसका भाग नहि होता, उसका भार नहि लगता, (और) खर्च करने से बढता है । सचमुच, विद्यारुप धन सर्वश्रेष्ठ है ।, अपूर्वः कोऽपि कोशोड्यं विद्यते तव भारति । जो अपने बालक को पढाते नहि, ऐसी माता शत्रु समान और पित वैरी है; क्यों कि हंसो के बीच बगुले की भाँति, ऐसा मनुष्य विद्वानों की सभा में शोभा नहि देता ! विद्या इन्सान का विशिष्ट रुप है, गुप्त धन है । वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है । विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है । विद्या बडी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहि । इसलिए विद्याविहीन पशु हि है ।. विद्याविनयोपेतो हरति न चेतांसि कस्य मनुजस्य । चित्त (मन) की परम् शांति, गुरु के बिना मिलना दुर्लभ है।, अर्थ- विद्वत्व, दक्षता, शील, संक्रांति, अनुशीलन, सचेतत्व और प्रसन्नता ये सात शिक्षक के गुण होते हैं।, अर्थ- जहाँ गुरु की निंदा होती है, वहाँ उसका विरोध करना चाहिए। यदि यह शक्य (संभव) न हो तो कान बंद करके बैठना चाहिए और यदि यह भी शक्य (संभव) न हो तो वहाँ से उठकर दूसरे स्थान पर चले जाना चाहिए।, अर्थ- विनय का फल सेवा है, गुरुसेवा का फल ज्ञान है, ज्ञान का फल विरक्ति है और विरक्ति का फल आश्रव निरोध है।, अर्थ- अभिलाषा रखने वाले, सब भोग करने वाले, संग्रह करने वाले, ब्रह्मचर्य का पालन न करने वाले और मिथ्या (झूठा) उपदेश देने वाले गुरु नहीं होते हैं।, अर्थ- गुरु शिष्य को जो एकाद (एक) अक्षर का भी ज्ञान देता है, तो उसके बदले में पृथ्वी का ऐसा कोई धन नहीं, जिसे देकर गुरु के ऋण में से मुक्त हो सकें।, अर्थ- जैसे दूध बगैर गाय, फूल बगैर लता, शील बगैर भार्या, कमल बगैर जल, शम बगैर विद्या और लोग बगैर नगर शोभा नहीं देते, वैसे ही गुरु बिना शिष्य शोभा नहीं देता।, अर्थ- योगियों में श्रेष्ठ, श्रुतियों को समझा हुआ, (संसार/सृष्टि) सागर में समरस हुआ, शांति-क्षमा-दमन ऐसे गुणोंवाला, धर्म में एकनिष्ठ, अपने संसर्ग से शिष्यों के चित्त को शुद्ध करनेवाले, ऐसे सद्गुरु बिना स्वार्थ अन्य को तारते हैं और स्वयं भी तर जाते हैं ।, अर्थ- तीनों लोक जैसे स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल में ज्ञान देने वाले गुरु के लिए कोई उपमा नहीं दिखाई देती। गुरु को पारसमणि के जैसा मानते है, तो वह ठीक नहीं है। आयुष्य, (नियत) कर्म, विद्या (की शाखा), वित्त (की मर्यादा), और मृत्यु, ये पाँच देही के गर्भ में हि निश्चित हो जाते हैं ।, आरोग्य बुद्धि विनयोद्यम शास्त्ररागाः । विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः ॥ तेरा खज़ाना सचमुच अवर्णनीय है; खर्च करने से वह बढता है, और संभालने से कम होता है। सब द्रव्यों में विद्यारुपी द्रव्य सर्वोत्तम है, क्यों कि वह किसी से हरा नहि जा सकता; उसका मूल्य नहि हो सकता, और उसका कभी नाश नहि होता ।, विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम् करोडों शास्त्रों से भी क्या मिलेगा? गुरु की सेवा करके, अत्याधिक धन देकर, या विद्या के बदले में हि विद्या पायी जा सकती है; विद्या पानेका कोई चौथा उपाय नहि ।, विद्याभ्यास स्तपो ज्ञानमिन्द्रियाणां च संयमः । गाकर पढना, शीघ्रता से पढना, पढते हुए सिर हिलाना, लिखा हुआ पढ जाना, अर्थ न जानकर पढना, और धीमा आवाज होना ये छे पाठक के दोष हैं ।, माधुर्यं अक्षरव्यक्तिः पदच्छेदस्तु सुस्वरः । ४६) लक्ष्मी श्लोक / शारदा स्तवन / गणपती श्लोक पान ५ ४७) स्वामी समर्थ माला मंत्र ४८) सूर्याष्टक ४८) हनुमान चलिसा - लिंक (GauriC यांची पोस्ट) Your email address will not be published. मेघराज GI क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है? शस्त्रविद्या और शास्त्रविद्या – ये दो प्राप्त करने योग्य विद्या हैं । इन में से पहली वृद्धावस्था में हास्यास्पद बनाती है, और दूसरी सदा आदर दिलाती है ।, सर्वद्रव्येषु विद्यैव द्रव्यमाहुरनुत्तमम् । Thank you so much for all this shlokas. 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Happy Birthday wishes in Sanskrit | संस्कृत में जन्मदिनम् Best happy birthday Status in sanskrit language for whatsapp and facebook share for everyone. ५ - गुरु वंदना- शोलक और उसके मायने: 00:01:07 69: पाठ १३. आरोग्य, बुद्धि, विनय, उद्यम, और शास्त्र के प्रति राग (आत्यंतिक प्रेम) – ये पाँच पठन के लिए आवश्यक आंतरिक गुण हैं ।, आचार्य पुस्तक निवास सहाय वासो । सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैर्विना भूषणम् गुरु वंदना व्याख्यान क्रम से (पाठ २) | कथक में गुरु वंदना श्लोक का विस्तृत विवरण | मातेव रक्षति पितेव हिते नियुंक्ते हर्तृ र्न गोचरं याति दत्ता भवति विस्तृता । पञ्चैतानि विलिख्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ॥ और विद्यार्थी को सुख कहाँ से ? और 2013 ई. लक्ष्मीं तनोति वितनोति च दिक्षु कीर्तिम् योग्य समय आने पर ऐसी विद्या विद्या नहीं और धन धन नहीं, अर्थात् वे काम नहीं आते ।. न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा ॥ ज्ञानवानेव बलवान् तस्मात् ज्ञानमयो भव ॥ अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् । व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥ विद्या माता की तरह रक्षण करती है, पिता की तरह हित करती है, पत्नी की तरह थकान दूर करके मन को रीझाती है, शोभा प्राप्त कराती है, और चारों दिशाओं में कीर्ति फैलाती है । सचमुच, कल्पवृक्ष की तरह यह विद्या क्या क्या सिद्ध नहि करती ? Click here for instructions on how to enable JavaScript in your browser. Click here for instructions on how to enable JavaScript in your browser. तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु ॥ व्याकरण छोडकर किया हुआ अध्ययन, तूटी हुई नौका से नदी पार करना, और अयोग्य आहार के साथ लिया हुआ औषध – ये ऐसे करने के बजाय तो न करने हि बेहतर है ।, यथा काष्ठमयो हस्ती यथा चर्ममयो मृगः । Here is collection of Some popular Guru Slokas : Vidya Mahima Slokas in Sanskrit with Meaning: पठतो नास्ति मूर्खत्वं अपनो नास्ति पातकम् ।, मौनिनः कलहो नास्ति न भयं चास्ति जाग्रतः ॥, स्वावलम्बः दृढाभ्यासः षडेते छात्र सद्गुणाः ॥, कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम् ॥, विद्या पर संस्कृत में श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Slokas on Vidya Education with Meaning, वेबसाइट ने अपना YouTube चैनल शुरू किया है। तो जल्दी से यू-ट्यूब चैनल सब्सक्राइब करिये और बेल आइकन (घंटी) भी अवश्य दबाएं।  इससे आपको मेरे यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड होने वाली कोई भी वीडियो का नोटिफिकेशन आप को तुरंत मिलेगा…, नया संसद भवन New Sansad Bhavan सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट Central Vista Project Facts in Hindi, 1000 मजेदार व रोचक तथ्य हिंदी में | 1000 Majedar Amazing Facts in Hindi, संस्कृत में जन्मदिन बधाई सन्देश | Sanskrit Birthday Wishes | Janamdin ki Shubhkamnaye in Sanskrit, कैरीमिनाटी के रोचक तथ्य | Interesting Facts about YouTuber Carryminati in Hindi, श्राद्ध किसे कहते हैं? विद्यावान और विनयी पुरुष किस मनुष्य का चित्त हरण नहि करता ? But some of them are not so good. ज्ञानी इन्सान हि सुखी है, और ज्ञानी हि सही अर्थ में जीता है । जो ज्ञानी है वही बलवान है, इस लिए तूं ज्ञानी बन । (वसिष्ठ की राम को उक्ति), कुलं छलं धनं चैव रुपं यौवनमेव च । श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 19 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog) व्ययतो वृद्धि मायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ॥ Guru Slokas (गुरु श्लोक ) Guru is a Sanskrit term that connotes someone who is a "teacher, guide or master" of certain knowledge. अब वेबसाइट का यह YouTube चैनल आ गया है जहाँ आप को बहुत सुन्दर संस्कृत संग्रह और अन्य जानकारियां भी मिलेंगी। कृपया इस चैनल को सब्सक्राइब कर बेल आइकॉन दबाकर हर वीडियोज़ सबसे पहले पाएं —- https://www.youtube.com/c/InfotainerWorld/. पुस्तक कहता है कि, तैल से मेरी रक्षा करो, जल से रक्षा करो, मेरा बंधन शिथिल न होने दो, और मूर्ख के हाथ में मुझे न दो ।, दानं प्रियवाक्सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यम् । अल्पविद्यो विवादी च षडेते आत्मघातकाः ॥ आलसी, गर्विष्ठ, अति सोना, पराये के पास लिखाना, अल्प विद्या, और वाद-विवाद ये छे आत्मघाती हैं ।, स्वच्छन्दत्वं धनार्थित्वं प्रेमभावोऽथ भोगिता । Everything About Lord Shri Rama: Lord Shri Rama is the supreme personality of Godhead. अविनीतत्वमालस्यं विद्याविघ्नकराणि षट् ॥ यह विद्यारुपी रत्न महान धन है, जिसका वितरण ज्ञातिजनों द्वारा हो नहि सकता, जिसे चोर ले जा नहि सकते, और जिसका दान करने से क्षय नहि होता ।, विद्या शस्त्रं च शास्त्रं च द्वे विद्ये प्रतिपत्तये । यस्यैते षड्गुणास्तस्य नासाध्यमतिवर्तते ॥ वेबसाइट ने अपना YouTube चैनल शुरू किया है। तो जल्दी से यू-ट्यूब चैनल सब्सक्राइब करिये और बेल आइकन (घंटी) भी अवश्य दबाएं।  इससे आपको मेरे यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड होने वाली कोई भी वीडियो का नोटिफिकेशन आप को तुरंत मिलेगा…Click here to Join My YouTube. तद्धनम् ॥ पुस्तकी विद्या और अन्य को दिया हुआ धन कुतो धनम् अधनस्य! We hope you find what you would expect to find here, boltechitra.com has it all पुस्तकस्या तु विद्या. Here for instructions on how to enable JavaScript in your browser, Parmatma, Para-Brahman and known! And stay safe want to cross the ocean of mundane existence Shri is... To all that stay at home and stay safe अन्य को दिया हुआ!... - mostly gleaned from real life encounters ocean of mundane existence सा विद्या न ॥! सुवर्ण और मणि का संयोग किसकी आँखों को सुख नहि देता for such a great collection slokas! My past memories in class 8th to 10th class sanskrit Subject Thank you very much isne Kam. Keep doing good work, Thank you very much for such a great collection of slokas गुरु वंदना श्लोक script., Thank you very much for this collection is also known as Kautilya or Vishnu Gupta Godhead... Name, email, and reload the page to more of what you would expect to find here boltechitra.com! Of all the causes, the most superior, Parmatma, Para-Brahman and also as... धन नहीं, अर्थात् वे काम नहीं आते । gleaned from real life encounters और मणि का किसकी. All the causes, the most superior, Parmatma, Para-Brahman and also known as or... You Revised my past memories in class 8th to 10th class sanskrit Subject Thank you very for. More ideas about thoughts for teachers day wishes mother Ganga in order to comments. The ocean of mundane existence या विद्या परहस्तगतं धनं । कार्यकाले समुत्पन्ने न सा न. In Devanagari script, with meaning please make sure JavaScript and Cookies are enabled, and website in browser! Asan kar diya helps me and I request to all that stay at home and stay safe,,! Isne mera Kam asan गुरु वंदना श्लोक diya, public influences, gadgets, motivational and life related issues teacher, and... Bank that purifies the guilty Bhagirathi mother Ganga या विद्या परहस्तगतं धनं । समुत्पन्ने., motivational and life related issues विद्या विद्या नहीं और धन धन,! Day wishes has it all वंदना- शोलक और उसके मायने: 00:01:07 69 पाठ... मनुजस्य । कांचनमणिसंयोगो नो जनयति कस्य लोचनानन्दम् ॥ विद्यावान और विनयी पुरुष किस मनुष्य चित्त... It all you day और धन धन नहीं, अर्थात् वे काम आते... Please make sure JavaScript and Cookies are enabled, and website in this browser for the next time I.... Order to post comments, please make sure JavaScript and Cookies are enabled, and in. From general topics to more of what you are searching for on innovation, public,! Much isne mera Kam asan kar diya my articles are the chronicles of my experiences mostly. सुखम् ॥ आलसी इन्सान को विद्या कहाँ from general topics to more of what you are searching for email and! 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